आप लोग तो जानते ही होंगे की हमारी कौम बरसों से 'इसका खत उसको' और 'उसका खत इसको' पहुँचाने का काम बड़ी ही होशियारी से करती आई है , और कबूतरों का योगदान उस वक़्त इतिहास के सुनहरे अक्षरों में छप गया जब मेरे दादा जी ने 'मैंने प्यार किया ' में lead role निभाया , याद कीजिये मेरे दादु पर फिल्माया वो superhit song , जिसके बोल थे -कबूतर जा , जा , जा ……अरे हाँ भई वो मेरे दादा जी हे थे , trust me . …उस हिंदी फीचर फिल्म के लिए 'विश्व कबूतर संगठन ' की ओर से मेरे दादा जी को 'best debut male कबूतर' का award भी मिला था , बस उसके बाद मेरे दादा जी में पीछे मुड़ कर नहीं देखा ……फिर 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ' के लिए उन्हें 'best supporting male कबूतर ' का award मिलना। …… मेरे दादा जी सफलता की बुलंदियों पर थे । …एक दिन दादा जी अपने कुछ अय्याश कबूतर दोस्तों के साथ एक movie की success party में गए थे , लौटते वक़्त उन्होंने मुझसे sweet corn लाने का वायदा किया था .......... पर वक़्त को शायद यह मंजूर नहीं था , उन् दिनों मैं कुछ 4 बरस का था। मैं sweet corn का , i mean दादा जी का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था , पर उस शाम दादा जी नहीं लौटे और ना ही मैं sweet corn खा सका(shit happens). दादा जी के नल्ले दोस्त आये हमारे घोंसले में , वो सब नशे में धुत थे (party में मुफ्त की शराब कौन छोड़ता है साला )…… उनके पंजे लड़खड़ा रहे थे , पंख भारी हो गए थे , चोंच भी सूख चुकी थी..... उन्होंने बताया की मेरे दादा जी की speed काफी ज्यादा थी , दारू भी काफी चढ़ा ली थी , he was 6 peg down और उनकी तिरछी और गन्दी नज़र बगल में उड़ रही एक कमसिन कबूतरी पर थी(दादा जी रंगीन मिजाज कबूतर थे) , he banged so hard in the pole की उस मोहल्ले की बत्ती गुल हो गयी थी , और मेरे दादा जी की भी ...... 'शराब और शबाब' ने मेरे अय्याश दादा जी की जिंदगी छीन ली थी ....in short , मेरे दादा जी 'stardom' नहीं पचा पाये थे....इस दर्द नाक घटना को कबूतरों के इतिहास का 'काला समय ' कहा जाता है(frequently asked in 'कबूतर service commission' exams)........
अंत में यही कहना चाहूंगा की -;
my grandpa was a legend and yes , i am proud to be a 'कबूतर'………