gustaakh kabootar

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

I am proud to be a 'कबूतर'

          


आप लोग तो जानते ही होंगे की हमारी कौम बरसों  से 'इसका खत उसको' और 'उसका खत इसको' पहुँचाने का काम बड़ी ही होशियारी से करती आई है , और कबूतरों का योगदान उस वक़्त इतिहास के सुनहरे अक्षरों में छप गया जब मेरे दादा जी ने 'मैंने प्यार किया ' में lead role निभाया , याद कीजिये मेरे दादु  पर फिल्माया  वो superhit song  , जिसके बोल थे -कबूतर जा , जा , जा ……अरे हाँ भई  वो मेरे दादा जी हे थे , trust me . …उस हिंदी फीचर फिल्म के लिए 'विश्व कबूतर संगठन ' की ओर  से मेरे दादा जी को 'best debut male कबूतर' का award भी मिला था , बस उसके बाद मेरे दादा जी में पीछे मुड़ कर नहीं देखा  ……फिर 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ' के लिए उन्हें 'best supporting male कबूतर ' का award मिलना। …… मेरे दादा जी सफलता की बुलंदियों पर थे  । …एक दिन दादा जी अपने कुछ अय्याश  कबूतर दोस्तों के साथ एक movie की success party में गए थे , लौटते वक़्त उन्होंने मुझसे sweet corn लाने का वायदा किया था  ..........   पर वक़्त को शायद यह मंजूर नहीं था , उन् दिनों मैं कुछ 4  बरस का था। मैं sweet corn का , i mean दादा जी का  बेसब्री से इंतज़ार   कर रहा था , पर उस शाम दादा जी नहीं लौटे और ना ही मैं sweet corn खा सका(shit happens).                                                                                                                            दादा जी के नल्ले  दोस्त आये हमारे घोंसले में , वो सब नशे में धुत थे (party में मुफ्त की शराब कौन छोड़ता है साला  )…… उनके पंजे  लड़खड़ा रहे थे , पंख भारी हो गए थे , चोंच भी  सूख चुकी  थी..... उन्होंने बताया की मेरे दादा जी की speed काफी ज्यादा थी ,  दारू भी काफी चढ़ा ली थी , he was 6 peg down और उनकी तिरछी और गन्दी  नज़र बगल में उड़ रही एक  कमसिन  कबूतरी पर थी(दादा जी रंगीन मिजाज कबूतर थे)  , he banged so hard in the pole की  उस मोहल्ले  की बत्ती  गुल हो गयी थी , और मेरे दादा जी की भी ...... 'शराब और शबाब' ने मेरे अय्याश दादा जी की जिंदगी छीन ली थी  ....in short , मेरे दादा जी 'stardom' नहीं पचा  पाये थे....इस दर्द नाक घटना को कबूतरों  के इतिहास का 'काला  समय ' कहा जाता है(frequently asked in  'कबूतर service commission'  exams)........ 

अंत में यही  कहना चाहूंगा की -;
my grandpa was a legend and yes , i am proud to be a 'कबूतर'………  

                                                                                                                                                                                                                                  'गुस्ताख़ कबूतर '



                                                                                                                                                                                  gustaakhkabootar.blogspot.com            




रविवार, 5 जुलाई 2015

पहली उड़ान

आज शुरुआत हुई है।
मुझे नहीं लगता की मै देर से हु , क्यूंकि बात दर असल यह है की मै  ठहरा एक बेरोजगार भारतीय कबूतर  ,
बेरोजगारी के करारे थपड खाए है मैंने और अभी भी खा ही रहा हूँ , मन कहाँ भरा है अभी। … पर  शुक्र है खुदा का की ऐसी करारी मार के बाद भी मेरी याददाश्त दुरुस्त है।
तोह देखते है कितने है , जो मेरे दुखड़े से रूबरू होना चाहेंगे। …… क्या है की लोगों को दूसरों की फजीहत देखने में जितना मजा आता है , बाई गॉड उतना तोह खुद की इज्जत में नहीं आता।
और हाँ , मैं तुम इंसानों की बात कर रहा हूँ , हम कबूतरों की तो बात ही कुछ और हैं....