gustaakh kabootar

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

कबूतरमार सदन

थक गया यार by god इधर उधर रहते रहते , अब कुछ permanent जुगाड़ करना पड़ेगा गुरु। एक सफ़ेद पंख क्या निकल आया , ससुरी कबूतरियां  ये कहकर ताना कसती हैं की सफ़ेद पंख वालों की speed कम हो जाती  है , कसम से अपनी मर्दानगी पर ऐसा लाँछन लगने के बाद चुल्लू भर बींठ में डूबने वाली feeling आ जाती है यार  , दोस्तों ने भी साला flat का किराया मांगना शुरू कर दिया। कहाँ जाऊं , कैसे manage करूँ.....??
            आहा.....एक लौंडा है जो काम आ सकता है , हिमांशु नाम है उसका , है तो साला लफंगा सा। खैर, उसने कहा था की कभी कुछ जरुरत हो तो आना।उसको मेरी जरुरत  थी तब , पर अब मुझे है । उसे भी मेरी तरह पंचात करने की बीमारी है , मोहल्ले में क्या हो रहा है , देश में क्या हो रहा है , मोदी कौनसे देश में जा रहा है , राहुल कहाँ खाट लगाए बैठा है। इस पंचाति कीड़े के कारण  वो यह चाहता है की वो भी मेरी तरह आप लोगों से अपने मन की बात कह सके । कैसे allow कर सकता हूँ यार मैं?, और चलो एक पल को मैं मान भी जाऊँ  पर मैं उसके घर कैसे जाऊंगा उससे बात करने ?
ये मेरे कबूतर धर्म के खिलाफ है , क्योंकि उसके पुरखों ने कबूतर जाति पर बड़े जुल्म किये है । ये वो लोग है जिनके नाम से सब कबूतर फर फर कांपते है।
‌                                    ये है खतरनाक "कबूतरमार" । पुराने time में जब हम किसी की confidential file लेकर जा रहे होते थे तो ये बीच रास्ते में ही हमें मार कर file हथिया लिया करते थे ,  बड़े ही निर्दयी लोग होते थे ,जासूसी करना इनका पेशा था । ये कबूतरों का खतरनाक हथियार , उनकी हवा में छोड़ी हुई गीली बींठ भी हवा में ही पकड़ लिया करते थे, हुनर तो देखो सालों का । जब से मैंने उसके घर की name plate पर "कबूतरमार सदन" लिखा देखा , तभी से मैं उस घर में जाने के नाम से भी डरता हूँ। पर ऐसे कब तक चलता...मुझे उस लड़के की जरूरत थी। मैंने हिम्मत बटोरी और उड़ चला। मैं जैसे ही उसके घर के पास पहुंचा , मैं stunned रह गया , अजीब घर था ये। पुरे मोहल्ले में बस यहीं एक घर था जहाँ कबूतरों की बींठ के निशान नहीं थे।फिर अचानक मेरी नज़र घर की boundary wall पर लगी plate पर पड़ी जिस पर लाल रंग में "कबूतरमार सदन" गुदा हुआ था। दोपहर में चमकते उस plate के लाल अक्षर जैसे मुझे डरा रहे थे पर जिन कबूतरों का पेट भरा हो और अमूमन पेट खराब रहता हो , उनसे उलझना खतरे से ख़ाली नहीं है । बस यही सिद्ध करने के लिए मैंने निशाना साधा और लाल अक्षरों को सफ़ेद होते देर न लगी। अक्षरों की दहशत और उनकी चमक टट्टी में मिल गयी थी। मैं कबूतरमार सदन के ठीक सामने वाले घर की मुंडेर पर जा बैठा , और मैंने अपना पिछवाड़ा रगड़ा ही था की क्या देखता हूँ , वो लड़का उस घर से कहीं जाने के लिए निकला। मैंने फिर से उड़ान भरी और उसके पीछे लग गया । वो आगे जाकर बन्ना जी की चाय की थड़ी पर जा बैठा । बन्ना जी से मेरी पहचान थी इसलिए मुझे डरने की जरुरत नहीं थी। मैं उसके पास गया , वो मुझे देखकर थोडा चौंका।
‌"तुम..?" उसने कहा।
"मुझे तुम्हारी help चाहिये" मैंने गुटुर गूं करते हुए कहा।
‌"मुझे भी तुमसे कुछ चाहिये...याद है ना..?"
‌"हाँ याद है...पर एक condition पर"
‌"कैसी condition ??" उसने चाय सुड़कते हुए पूछा।
‌"मेरे रहने का बन्दोबस्त करना होगा"
‌"हो जायेगा..और कुछ?"
‌"कहाँ" मैंने डरते हुए पूछा।
‌"जहाँ मैं रहता हूँ वहीँ , और कहाँ"
‌"पागल उगल है का बे ?....तुम कबूतरमारों का क्या भरोसा ? कब मारो , पकाओ और खा जाओ। मैं नहीं रह सकता तुम्हारे साथ" कहते हुए मैं ऊपर पेड़ पर जा बैठा।
‌"हो तुम कबूतर , पर दिमाग ख़ुदा कसम गधे का रखते हो ।मैं  सिर्फ इनके घर में room किराये पर लेकर रहता हूँ।room के रोशनदान में तुम भी रह लेना,दिक्कत कहाँ हैं ?"उसने चिढ़ते हुए कहा।
‌मैं ख़ुशी से उड़ा और उसके कन्धे पर बैठ गया "अरे वाह भाई , तुम कबूतरमार नहीं हो तो कोई दिक्कत ही नहीं है"
‌"अबे हग मत देना , नई shirt है" वो आँखें तरेरते हुए बोला।
‌"नहीं नहीं भाई....अभी अभी हल्का होके आया हूँ। तो ये तय रहा की जब तुम मुझे  flat का possession दे दोगे... मैं ये महान legacy तुम्हे pass on कर दूंगा.."
‌"possession??" उसने घूरते हुए कहा।
"हाहाहा मजाक कर रा था bro , high fiiiive..."मैंने पंजा उठाते हुए कहा।
‌उसने मुझ पर ध्यान दिए बिना बन्ना जी को चाय के पैसे दिए और चलता बना। खडूस कहीं का...

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